समाज की नन्ही कोंपलों में धर्म संस्कार पल्लवित करने हेतु अभिनव प्रयोग

(एसपीटी न्यूज नर्मदापुरम संतराम निसरेले प्रधान संपादक )
साकेत नगर में जीवन दादा जी पाटिल ने उत्तम आर्जव धर्म पर दिए प्रवचन
समाज की नन्ही कोंपलों में धर्म संस्कार पल्लवित करने हेतु अभिनव प्रयोग
नाटक "आसरा- वृद्धाश्रम" की मार्मिक प्रस्तुति
नन्ही कोंपलों में धर्म संस्कार पल्लवित करने हेतु श्री 1008 भगवान महावीर दिगम्बर जैन मंदिर साकेत नगर में दशलक्षण पर्व के अवसर पर एक अभिनव प्रयोग किया गया है जिसमें जैन पाठशाला के बच्चों द्वारा ही मंगलाचरण और रोज 10 लक्षण धर्म पर एक कहानी बच्चों द्वारा ही प्रस्तुत की जा रही है इसके साथ ही प्रश्नोत्तरी का आयोजन भी होता है जिसमें जैन धर्म और जिनवाणी मां से संबंधित प्रश्न बच्चों से पूछे जाते हैं जिनके जवाब देने हेतु बच्चे स्वाध्याय करते हैं और ज्यादा से ज्यादा संख्या में उत्साह पूर्वक प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। पहचान कौन प्रतियोगिता में विभिन्न तीर्थंकरों, जैन मंदिरों, तीर्थ क्षेत्रों आदि के चित्र दिखाकर बच्चों से प्रश्न किए गए ताकि वह जैन संस्कृति से भली भांति परिचय प्राप्त कर सकें। हेमलता जैन रचना ने बताया कि साकेत नगर जैन महिला मंडल जिन्होंने हाल ही में पूरे देश में आयोजित नृत्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर ₹100000 रू का कैश प्राइस जीता था के द्वारा एक बहुत ही मार्मिक नाटक "आसरा- वृद्धाश्रम" की प्रस्तुति दी गई जिसमें वर्तमान में खत्म होती जॉइंट फैमिली के कांसेप्ट और न्यूक्लियर फैमिली के चलते वृद्ध होते माता-पिता जब अपनी ही संतानों के लिए एक भार स्वरूप बन जाने के बाद एक ज्वलंत प्रश्न के रूप में वृद्ध आश्रम पूरे समाज के सामने स्थापित हो रहे हैं उस विभीषिका को लेकर यह नाटक प्रस्तुत किया गया। इसमें मुख्य पात्रों की भूमिका में ललित मनया, राखी जैन,आराधना पंचोलिया, अर्पणा, प्रतिभा टोंग्या, दिशा जैन, भारती जैन, स्वाति जैन, पारुल जैन, सीमा कासलीवाल, सपना पञ्चोलिया, आराधना पञ्चोलिया, साक्षी जैन, अर्पणा जैन, अंजू नायक ने अपनाई बेहतरीन अभिनय क्षमता से दर्शकों को आँखें भिगो देने पर मज़बूर कर दिया। डॉ महेंद्र जैन ने संगीत देकर नाटक में चार चाँद लगा दिए।
इसके पूर्व जीवन दादा पाटिल जी ने उत्तम आर्जव धर्म की व्याख्या करते हुए अपने प्रवचनों में कहा कि- "जिसकी वाणी एवं क्रियाकलापों में सरलता है, वही धर्मात्मा है और उसे ही उत्तम आर्जव धर्म प्राप्त होता है।'' छल-कपट को छोड़कर सहज-सरल होने का नाम ही आर्जव धर्म है। विचारों का ऋजु या सरल होना ही आर्जव धर्म है। जिस मनुष्य के ह्रदय में छल-कपट और मायाचार भरा हुआ हो, वह क्षणिक सफलता तो प्राप्त कर सकता है, परन्तु अंत में उसका पतन निश्चित है। आत्मा की पवित्रता के लिए क्रोध और अहंकार की ही तरह माया चारी को भी छोड़ना अनिवार्य है, आर्जव ही आत्मा का असली स्वभाव है। निश्छल और सरल ह्रदय से ही मनुष्य समाज में विश्वसनीयता और सच्ची प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता है। आर्जव धर्म के परिपालन के लिए मान-कषाय (मायाचार) का त्याग आवश्यक है। आर्जव धर्म से मनुष्य का नैतिक विकास होता है। इस धर्म के परिपालन द्वारा भ्रष्टाचार जैसी विश्वव्यापी समस्या को भी समाप्त किया जा सकता है।"
साकेत नगर मंदिर जी में नित्य-नियम-पूजन-विधान, अभिषेक, शांतिधारा आदि धार्मिक क्रियाओं के साथ ही रोजाना साँस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है इसी कड़ी में बच्चों की फेंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें ग्रुप ए में नीरव जालोरी, द्वितीय पावनी जैन, तृतीय सहज जैन, ग्रुप बी में प्रथम प्रभुता जैन, द्वितीय अनय पंचोलिया, हिया पंचोलिया, तृतीय संयम जैन, सांत्वना पुरस्कार अभिश्री जैन तथा ग्रुप सी में अलंकृता जैन पुरस्कृत किए गए। कार्यक्रम का सञ्चालन हेमलता जैन रचना, डॉ पारुल जैन ने किया तथा वयवस्था में देवेश जैन, तन्मय जैन द्वारा विशेष सहयोग प्रदान किया गया। मंदिर के अध्यक्ष नरेंद्र टोंग्या ने बतलाया कि नित्य पूजन, विधान, अभिषेक, प्रवचनों के दौरान भी साकेत नगर जैन समाज के लोगों का जहाँ भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है वहीं भक्ति पूजन विधान भी हर्षोल्लास से संपन्न हो रहे हैं।