पंछी ऐसे आते हैं" का हुआ भव्य मंचन।

एसपीटी न्यूज़ नर्मदापुरम( संतराम निसरेले)
एनएमवी ऑडिटोरियम में नाटक "पंछी ऐसे आते हैं" का हुआ भव्य मंचन।
संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली के सहयोग से साथी जन शिक्षण एवं संस्कृति समिति द्वारा नर्मदा महाविद्यालय ऑडिटोरियम, नर्मदापुरम में नाटक "पंछी ऐसे आते हैं" का सफल मंचन किया गया। नाटक के लेखक श्री विजय तेंदुलकर हैं जिसका हिंदी अनुवाद - सरोजिनी वर्मा ने किया है। नाटक की परिकल्पना और निर्देशन नर्मदापुरम के प्रसिद्ध युबा रंगकर्मी रत्नेश साहू ने किया।
नाटक के उदघाटन में अतिथि के रूप में आतिथि -श्री आनंद नारायण सिन्हा जी ( पूर्व निदेशक कालीदास अकादमी, उज्जैन म.प्र.) श्री वैभव कमल ( फ़िल्म प्रोड्यूसर, शिव कमल प्रोडक्शन, मुम्बई) श्री अखिलेश खण्डेलवाल ( पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष ) श्री राजेश तिवारी जी (जिला उपाध्यक्ष भाजपा) उपस्थित रहे। बड़ी संख्या में आये दर्शकों को नाटक के पात्रों ने अपनी अभिनय क्षमता ने मंत्रमुग्ध कर दिया।
नाटक की विषयवस्तु (कथा सार)
=============
पंछी ऐसे आते हैं
=============
नाटक के बारे में - नाटक पंछी ऐसे आते हैं। यह एक ऐसे मध्यम वर्गीय परिवार की कहानी है। जिसका मुखिया डी.डब्ल्यू.पैराडकर यानी कि अन्ना है। मां यानी की अन्ना की पत्नी है। एक लड़का बण्डा है, और एक एक लड़की है सरस्वती उर्फ सरु।
सरु एक साधारण दिखने वाली जिद्दी सी लड़की है। जिसकी शादी के प्रयास में सारा परिवार परेशान हैं। कई लड़के आकर देख चुके हैं, परंतु किसी ने भी उसे अभी तक पसंद नहीं किया है। शादी की चिंता में घर के सभी सदस्यों में एक अजीब सी चुप्पी, रूखापन और चिड़चिड़ापन का माहौल बना हुआ है। और इन सब परिस्थितियों से सरु भी दुखी और निराश हो चुकि है, तभी अचानक सरु को उसके घर की खिड़की पर खड़ा हुआ देखकर उनके परिवार में एक नवागंतुक अरुण सरनाईक प्रवेश करता है। और कुछ ही समय में घर की सारी परिस्थिति को समझ जाता है। सरु की शादी के लिए पूरे परिवार की मदद करना चाहता है।और सरु को यह एहसास कराता है, कि तुम सुंदर हो, तुम बहुत सुंदर हो, बस अपने अंदर की सुंदरता को पहचानो। अरुण से बातचीत के दौरान सरु को अरुण से प्रेम हो जाता है। दूसरे दिन सुबह जो लड़का उसे देखने आया आता है। सरु उसे पसंद आ जाती है। परंतु सरु उस से शादी करने से मना कर देती है। और अरुण से शादी करने का कहती है।इससे परिवार के माहौल में एक अजीब सी स्थिति पैदा हो जाती है। अरुण रुक कर इन स्थितियों को संभालने की कोशिश करता है। परंतु जब अन्ना और मां अरुण के सामने सरु की शादी का प्रस्ताव रखते हैं। तब वह असहाय सा कुछ नहीं कर पाता और उस परिवार के सामने झूठा ड्रामा रच कर हमेशा हमेशा के लिए वहां से चला जाता है।
अभिनेता पात्र (मंच पर)
अरुण - कुमार 'कनिष्क' बरेले
अन्ना - अनिल बनोरिया
माँ - ऋचा शर्मा
सरु - अंजली सोलंकी
बण्डा - साहिल चौधरी
विश्वास राव - चंद्रशेखर राजोरिया
पर्दे के पीछे के कलाकार (मंच परे)
प्रकाश - अभिषेक सैनी, मयंक सातनकर
मंच निर्माण - अभिषेक सैनी मयंक सातनकर, ब्रजेश शर्मा
मंच निर्माण सहयोग - मोंटी यादव, अनिल बनोरिया।
वस्त्र विन्यास - सोनाली साहू
वेशभूषा व रूपसज्जा - ऋचा शर्मा, अंजली सोलंकी, शीतल, रागिनी।
संगीत संयोजन - अभिषेक सैनी
प्रबंधन एवं समन्वय - अभिषेक सैनी
उद्घोषणा एवं संचालन - सुनील कुमार राठौर
आयोजक:- साथी जन शिक्षण एवं संस्कृति समिति
प्रेषक:- रत्नेश साहू
मोबाइल नंबर - 9406944533/8223929999